स्वास्थ्य तंत्र की अराजकताओं की करें जांच-सुधारें व्यवस्थाएं

स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त अराजकताओं को लेकर जिला कांग्रेस कमेटी ने स्वास्थ्य मंत्री को सौंपा ज्ञापन

मण्डला। आदिवासी बाहुल्य जिला मण्डला की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में व्याप्त अराजकताओं से जिले के नागरिक आये दिन जूझ रहे हैं। सही समय पर सही इलाज न मिल पाने से प्रतिदिन मरीजों की मौत हो रही है। इन्ही सब अव्यवस्था व स्वास्थ्य तंत्र से जुड़ी अन्य मांगों को लेकर गुरुवार को जिला मुख्यालय में कांग्रेस कार्यालय के सामने बिछिया विधायक नारायण सिंह पट्टा व जिला कांग्रेस अध्यक्ष एड राकेश तिवारी के नेतृत्व में कांग्रेस जनों ने मध्यप्रदेश शासन के स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी को एक ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में उल्लेखित मांगों का एक तय समय में निराकरण करने की मांग की गई अन्यथा जिले के नागरिकों के साथ सड़को पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा।
जिला अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के साथ चिकित्सकों की पदस्थापना कराएं-जिले का मुख्य शासकीय अस्पताल जो कि जिला मुख्यालय में स्थित है वर्तमान में नागरिकों को सेवाएं देने में पूरी तरह से असक्षम हो चुका है। सामान्य मरीजो को भी मेडिकल कॉलेज जबलपुर रेफर कर दिया जाता है। गंभीर मरीजों को तत्काल चिकित्सा उपलब्ध करा पाना भी असंभव जैसा हो गया है जिसके कारण अनेक मरीजों की जान तक जा चुकी है। जिला चिकित्सालय में विशेषज्ञ चिकित्सको की कमी एक बड़ी समस्या है जिसके लिए विगत वर्ष मप्र शासन स्तर से जिले में 16 चिकित्सकों की पदस्थापना की गई थी परंतु उनमें से केवल 4 चिकित्सक ही अब तक जिले में आ सके हैं शेष चिकित्सक न आने से जिला अस्पताल एवं ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या तो चिकित्सक विहीन हैं या चिकित्सको की कमी के कारण नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नही दे पा रहे हैं। इस हेतु मण्डला जिला अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के साथ जिले में विशेषज्ञ चिकित्सकों की पदस्थापना करवाने की मांग की गई।
8 माह में हुई 298 बच्चों की मौत के मामले की जांच करवाएं-जिले में विगत 8 माह में 298 से ज्यादा नवजात बच्चों की मृत्यु हुई है जो कि एक अति गंभीर विषय है। बच्चों की लगातार मृत्यु होना कहीं न कहीं जिले के स्वास्थ्य तंत्र की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है। इसमें जिम्मेदारों की लापरवाही भी एक बड़ा कारण है साथ ही समुचित स्वास्थ्य व्यवस्था न होना भी एक कारण है। इस पूरे मामले की जांच करवाकर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही करने के साथ जिले में एनेस्थीसिया विशेषज्ञ के साथ शिशु रोग विशेषज्ञ की पदस्थापना करवाने की मांग की गई है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बढ़ाएं सुविधाएं-जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व उप स्वास्थ्य केंद्रों में आवश्यक सुविधाओं के साथ चिकित्सकों व स्टाफ की भारी कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिक इलाज हेतु पूर्ण रूप से इन्हीं केंद्रों पर आश्रित हैं इनमें बिस्तरों की संख्या कम होने से मरीजो को इलाज से वंचित रहना पड़ता है। इस हेतु बिछिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को 50 बिस्तर से 100 बिस्तर उन्नत करने, मवई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को 25 बिस्तर से 100 बिस्तर उन्नत करने, घुघरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को 50 बिस्तर से 100 बिस्तर में उन्नत करने, घुटास उपस्वास्थ्य केंद्र को 50 बिस्तर में उन्नत करवाने की मांग की गई।
आशा कार्यकर्ताओं के लिए शैक्षणिक योग्यता का मापदंड करें खत्म-स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत ग्रामों में कार्यरत आशा कार्यकर्ताओं को लेकर वर्तमान में शासन द्वारा शैक्षणिक योग्यता की अनिवार्यता की जा रही है। जिसके तहत वर्तमान में कार्यरत आशा कार्यकर्ताओं में से जिन आशा कार्यकर्ताओं ने 5 वीं उत्तीर्ण की होगी उन्हें ही यथावत रखा जाएगा शेष को सेवा से अलग कर दिया जाएगा। शासन के इस निर्णय से प्रदेश की लाखों आशा कार्यकर्ताओं को सेवा से पृथक कर दिया जाएगा जबकि वे विगत कई वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में अपनी समर्पित भूमिका का निर्वहन कर रही हैं। आशा कार्यकर्ताओं को लेकर शैक्षणिक योग्यता संबधी जो नया आदेश शासन द्वारा लागू किया है उसे वापस लेकर यथास्थिति बनाई रखी जाए एवं नया आदेश नई भर्तियों में ही लागू किया जाए।
मण्डला मेडिकल कॉलेज की स्थापना शीघ्र करवाई जाए-मण्डला जिले में एक वर्ष पूर्व मेडिकल कॉलेज की स्वीकृति हो चुकी है जिसके भूमि चिन्हांकन से लेकर प्रारम्भिक बजट आवंटन की प्रक्रिया भी की जा चुकी है परंतु विगत एक वर्ष से इसकी स्थापना के कार्य पूर्ण रूप से शिथिल पड़े हुए हैं मेडिकल कॉलेज स्थापना के कोई कार्य नहीं किये जा रहे हैं। इस हेतु मांग की गई कि जिले में स्वीकृत मेडिकल कॉलेज की स्थापना की कार्यवाही शीघ्र प्रारम्भ करवाई जाए।
नसबंदी शिविरों में हुई महिलाओं की मौत की जांच करवाएं-विगत कुछ माह में जिले में लगाये गए नसबंदी शिविरों में लापरवाही की वजह से महिलाओं की मृत्यु हुई है जिसे लेकर जिले के नागरिकों में भारी आक्रोश है। इस हेतु विगत 6 माह में आयोजित नसबंदी शिविरों में हुई महिलाओं की मौत की जांच स्वतंत्र रूप से करवाकर दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाए।
कोरोना काल मे हुए भ्रष्टाचार की करवाएं जांच-जिले में कोरोना संक्रमण काल माह अप्रैल 2020 से लेकर वर्तमान दिनांक तक शासन द्वारा प्रदाय राशि एवं निजी माध्यम से प्राप्त राशि का जिले के स्वास्थ्य तंत्र ने भारी दुरुपयोग किया है। अप्रैल 2020 से लेकर नवंबर 2020 तक जिले के स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई ख़रीदियों में नियमों की अवहेलना कर भारी भ्रष्टाचार किया गया है। एमआरपी से अधिक रेट में सामग्रियों की खरीद की गई है। साथ ही कोरोना संक्रमित मरीजो के उपचार व अन्य सुविधाओं में खर्च की जाने वाली राशि भी अनाप शनाप बिल लगाकर भुगतान कर भ्रष्टाचार किया गया है। इस हेतु जिले में अप्रैल 2020 से वर्तमान दिनांक तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोरोना उपचार बचाव एवं सुविधाओं को लेकर जो राशि खर्च की गई है उसकी उच्च स्तरीय जांच करवाकर दोषियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करवाई जाए।
अस्थायी स्वास्थ्य कर्मियों को सेवा में वापस लिया जाए-कोरोना संक्रमण काल के दौरान माह अप्रैल 2020 से लेकर सितंबर 2020 के दौरान विभिन्न पदों पर स्वास्थ्य कर्मचारियों की अस्थायी भर्ती की गई थी जिन्हें वर्तमान में सेवा से निकाल दिया गया है। वर्तमान में कोरोना संक्रमण की स्तिथि में कोई खास सुधार नहीं हुआ है एवं मण्डला जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है जहां पहले से ही स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। इस हेतु कोरोना काल मे अस्थायी पदों पर भर्ती किये गए विभिन्न स्वास्थ्य कर्मियों को पुनः सेवा में लिया जाए।
ये रहे उपस्थित-अदीब गौरी, अनूप बासल, अमित शुक्ला, प्रदीप खरबंदा, नीलू शुक्ला, कामिनी चौधरी, अखिलेश कछवाहा, अभिनव चौरसिया, सैयद मंजूर अली, हिमांशु हनी बर्वे, अखिलेश ठाकुर, वंदना सोनी, रेशमा अल्वी,  शकुन जंघेला, सोनू भलावी, आकाश चौरसिया, पुहुप सिंह भारत, राजीव सोनी, जावेद कुरैशी सहित काफी संख्या में कांग्रेस जन मौजूद रहे।